कभी खुद करते-करवाते थे चुनाव बहिष्कार, अब वोट डालकर पूर्व नक्सलियों ने कहा- खूबसूरत है लोकतंत्र
Surrender Naxalites Voted : लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है. छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाकों में भी लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इन इलाकों में नक्सलियों की धमकी के बीच ग्रामीण उत्साहित होकर पोलिंग बूथों तक पहुंचकर अपना वोट दे रहे हैं. इस चुनाव सरेंडर नक्सलियों (Surrender Naxalites) ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. ये सभी नक्सल संगठन में रहते हुए पहले खुद चुनाव का बहिष्कार करते थे. अब वोट देने के बाद इन सभी ने मीडिया बातचीत में बताया कि सही मायने में लोकतंत्र का महत्व समझा है.
उत्साहित होकर डाला वोट
नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है. यहां ग्रामीणों को नक्सली धमकी देते हैं कि वोट देने न जाएं. इस बार भी नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. इस बीच भी नक्सल इलाके से लोकतंत्र की बेहद खूबसूरत तस्वीरें निकलकर सामने आ रही हैं. पिछले चुनावों में लोगों को वोट नहीं देने की धमकियां देने वाले नक्सली इस बार खुद लोकतंत्र के इस महापर्व में बड़ी भूमिका निभाई है. पोलिंग बूथों तक जाकर अपना वोट दिया है. ये तब हुआ जब वे मुख्यधारा से जुड़ गए. कांकेर लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को जब वोटिंग शुरू हुई तो सरेंडर नक्सली भी इसके लिए पीछे नहीं हटे.उत्साहित होकर अपने वोट डाले.
अब सही मायने में लोकतंत्र को समझा
Surrender Naxalites Voted नक्सल संगठन में कभी सक्रिय रहकर काम करने वाली एक सरेंडर महिला नक्सली ने बताया कि सालों तक नक्सल संगठन में काम किया है. चुनाव आते ही ग्रामीणों को धमकी दिया करते थे कि वे वोट न दें. वोट देने जाने वालों की पिटाई भी करते थे. लेकिन जब मैं मुख्यधारा में लौटी तो मैंने लोकतंत्र का सही मायने समझा. पहली बार है जब मैंने वोट दिया है. काफी अच्छा लग रहा है. एक अन्य सरेंडर नक्सली ने बताया कि उसके गांव और आसपास के गांवों में कभी वोट ही नहीं होता था. क्योंकि संगठन में रहते वक़्त हम खुद वोट नहीं डालने की धमकी दिया करते थे. सरेंडर के बाद लोकतंत्र की अहमियत पता चली. अब सरकार बनाने के लिए अपने मत का प्रयोग कर काफी अच्छा लग रहा है. इन सरेंडर नक्सलियों ने यह भी बताया कि संगठन में रहते वक़्त ग्रामीणों पर बहुत जुर्म बरपाए. नक्सल विचारधारा खोखली है. सभी को वोट देना चाहिए.
Surrender Naxalites Voted ऐसे बनाते हैं ग्रामीणों पर दबाव
जिन इलाकों में नक्सलियों की पैठ है वहां नक्सली चुनाव के लिए ग्रामीणों को कैसे और क्यों परेशान करते हैं यह भी इन सरेंडर नक्सलियों ने बताया. इनका कहना है कि नक्सली जनताना सरकार चलाना चाहते हैं. वे ग्रामीणों को बताते हैं कि सरकारें अच्छी नहीं होती है. उन्हें इस बात का भी भय होता है कि अगर गांव में विकास पहुंचेगा तो लोग सरकार से जुड़ेंगे और उनका राज नहीं चल पाएगा. इस बात की भी धमकी देते हैं कि कोई भी चोरी छिपे वोट देने गया, अमिट स्याही का निशान दिखा तो बुरा अंजाम भुगतना होगा. इसी भय के कारण ग्रामीण वोट देने से घबराते हैं.