चुनाव बाद महंगा हो जाएगा मोबाइल का रिचार्ज प्लान, इतना बढ़ सकता है जेब का बोझ
Mobile Recharge Plan देश में इस समय आम चुनाव का माहौल है. कई राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं, जबकि अलग-अलग रिपोर्ट बता रही हैं कि चुनाव के बाद आम आदमी की जेब का बोझ बढ़ सकता है. क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल के चलते कई एक्सपर्ट का कहना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. वहीं अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद मोबाइल रिचार्ज प्लान्स की कीमत 15 से 17 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
देश में 19 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव है. इसके बाद सात चरणों में एक जून तक आम चुनाव पूरे होने है. इसके बाद 4 जून को मतगणना होगी और नई सरकार का गठन होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद टेलीकॉम इंडस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला ले सकती है.
तय है मोबाइल रिचार्ज का महंगा होना
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सेक्टर में शुल्क वृद्धि ‘लगभग तय’. भारती एयरटेल को इसका सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है. उम्मीद है कि चुनाव के बाद इंडस्ट्री शुल्क में 15-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी करेगी. देश में आखिरी बार दिसंबर 2021 मोबाइल रिचार्ज प्लान चेंज हुए थे. तब शुल्क में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी.
Mobile Recharge Plan भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के लिए प्रति ग्राहक औसत कमाई (एआरपीयू) का खाका पेश करते हुए ब्रोकरेज नोट में कहा गया कि भारती का मौजूदा एआरपीयू 208 रुपये वित्त वर्ष 2026-27 के अंत तक 286 रुपये तक पहुंचने की संभावना है. इसलिए उम्मीद की जाती है कि भारती एयरटेल का ग्राहक आधार प्रति वर्ष करीब दो प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, जबकि उद्योग में प्रति वर्ष एक प्रतिशत की वृद्धि होगी.
Mobile Recharge Plan
इसमें ग्राहक आधार पर कहा गया कि वोडाफोन आइडिया की बाजार हिस्सेदारी सितंबर 2018 के 37.2 प्रतिशत से घटकर दिसंबर, 2023 में करीब आधी यानी 19.3 प्रतिशत रह गई है. भारती की बाजार हिस्सेदारी इस दौरान 29.4 प्रतिशत से बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई है. जियो की बाजार हिस्सेदारी इस दौरान 21.6 प्रतिशत से बढ़कर 39.7 प्रतिशत हो गई है.
पेट्रोल-डीजल भी महंगा होने के आसार
Mobile Recharge Plan इसी तरह आपकी जेब का बोझ पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ाने वाली हैं. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के प्राइस ऊंचाई पर बने हुए हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्थिरता का माहौल है. इजराइल और हमास के बीच युद्ध, रूस और अमेरिका का युद्ध नहीं रुकना और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को लेकर की गई घोषणा के साथ-साथ ओपेक देशों ने क्रूड ऑयल प्रोडक्शन को घटाने का ऐलान किया है. इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर असर पड़ना तय है.